यादों के झरोखे से लेखनी कहानी मेरी डायरी-14-Nov-2022 भाग 19
नैनीताल की यात्रा
सभी मन्दिरौ में दर्शने के पशचात हम सभी ने नैनी झील मे वोटिंग करने का मन बनाया क्यौकि नैनीताल आने के बाद झील में वोटिंग नही की तो क्या फायदा । हमने एक वोट ली और उसमें सभी ने वोटिंग आरम्भ करदी। लगभग वह आधा घन्टा ही वोटिंग करवाते है।।
वोटिंग के बाद हमने एक टैक्सी विले से बात की तब उसने हमे बताया कि हम यहाँ की सबसे ऊ़ची पहाडी़ तक बारह पोइन्ट दिखाते है जिसका लगभग चार्च है पच्चीस सौ रुपये। अब हम सभीने उसको बुक कर लिया और उसकी गाडी में बैठ गये वहाँ केवल छोटी गाडी़ ही जा सकती है क्यौकि रास्ता बहुत ही सकरा था।
और सभी लोग पीछे की सीट पर बैठ गये। मैं आगे की सीट पर बैठा था।मैने गाडी़ में बैठते ही सीट बैल्ट खोजने लगा । परन्तु मुझे सीट बैल्ट कही नजर नही आई। मैने चालक महोदय को पूछा कि सीट बैल्ट नही है क्या ? तब चालक महोदय बोले कि सीट बैल्ट नही है क्योकि यहाँ लगाना आवश्यक नहीं है।
मैने उसको कहा ," इतने ऊँचे पहाडो़ पर लेकर जारहे हो सीट बैल्ट लगाना तो बनता है। लेकिन अब किया क्या जाता।
वह गाडी़ को बहुत ही रफ तरीके से चलारहा था डर तो लगना स्वाभाविक ही था। मुझे अधिक डर लग रहा था क्योकि उसकी गाडी़ की खिड़की में लाक भी नही था यदि झटके से वह खुल जाय तो हजारौ फुट नीचे खाई में ही जाना पडे़गा।
मै भय से बैठा रहा। इसके अलावा और कोई उपाय भी नहीं था वह हमे ऊपर जाते समय अनेक मन्दिरौ को दिखाता हुआ लेखर गया वह गाइड का भी काम खर रहा था। सबसे ऊपर सैल्फी पाइन्ट पर लेकर गया जहाँ से हिमालय पर्वत की चोटियाँ भी दिखती है ऐसा उसने बताया।।
लेकिन हमें तो दिखाई नही दी उसके बाद वह हमें नीचे लेकर आया । इह तरह यह यात्रा भय में पूरी होगयी।
आगे की यात्रा का वर्णन अगले भाग में।
यादों के झरोखे से २०२२
नरेश शर्मा " पचौरी "
Radhika
05-Mar-2023 08:21 PM
Nice
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shweta soni
03-Mar-2023 10:06 PM
👌👌👌
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अदिति झा
03-Mar-2023 02:31 PM
Nice 👍🏼
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